न्यायविदों के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन बेहतर विश्व के निर्माण में ब्रह्माकुमारीज़ की महत्वपूर्ण भूमिका – जस्टिस वी. ईश्वरैया सामाजिक न्याय के लिए आध्यात्मिक मूल्य ज़रूरी – वेंकटरमानी २४ नवंबर २०१८, गुरूग्राम ब्रह्माकुमारीज बेहतर विश्व के निमार्ण में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।
संस्था लव और लॉ का बहुत सुन्दर सन्तुलन रखना सिखाती है। उक्त विचार उच्च-न्यायालय, आन्ध्र प्रदेश के पूर्व चीफ जस्टिस वी. ईश्वरैया ने व्य1त किये। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज के भोड़ाकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में न्यायविदों के लिए आयोजित राष्ट्रीय सम्मलेन में बतौरमुख्य अतिथि शिरकत की। खुशनुमा जीवन के लिए स्वयं की पहचान विषय पर उन्होंने कहा कि खुशी का असली स्रोत वास्तव में हमारे अंदर निहित है। उन्होंने कहा कि भौतिकता की चकाचौंध मेें हम अपनी मौलिकता को भूल चुके हैं। ब्रह्माकुमारीज़ सस्था हमें उन मूल्यों की पहचान करा रही है। स्थाई सुख-शान्ति प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक और नैतिक मूल्य ज़रूरी हैं।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील आर. वेंकटरमानी ने अपने संबोधन में कहा कि कानून बनाने से समस्यायें हल नहीं होती। सामाजिक न्याय के लिए समरसता ज़रूरी है। कानून ऐसा होना चाहिए जो हमें जोड़े। कानून से समाज में खुशहाली आनी चाहिए। ये तभी संभव है, जब समाज में जागरूकता आए। आध्यात्मिक सश1ितकरण ही जीवन को व्यवस्थित करने का मूल आधार है।
ओ.आर.सी की निदेशिका आशा दीदी ने कहा कि स्वयं की पहचान के लिए योग ही मुख्य आधार है। योग हमें स्वयं से जोड़ता है। योग चित्त की वृतियों को नियंत्रित करता है। योग ही हमें ईश्वर के समीप ले जाता है। योग से ही मन में शुद्धता आती है। इसलिए यदि हम न्याय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना चाहते हैं तो योग को प्रमुखता देनी होगी।
संस्था के अतिरिक्त सचिव बी. के. बृजमोहन ने अपने आर्शीवचन में कहा कि खुशी हमें तब होती है, जब हम किसी को देते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति दैवी संस्कृति रही है। प्रकृति की कोई भी चीज़ अपने लिए नहीं बनी है। हरेक का महत्व दूसरों को देने में है। इसी प्रकार मानव जीवन की सार्थकता दूसरों के काम आने में है। लेकिन वर्तमान समय इसका उल्टा हो रहा है, मानव देवता के बदले लेवता बन गया। यही मानव जीवन के असली दु:खों का कारण है।
कार्यक्रम में बैंगलुरू उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए.एस. पच्चापुरे, बी.के.पुष्पा, बी.के. विद्या, बी.के.अमिता, बी.के.राजेन्द्र, अमर सिंह, रबिन्द्र सिंह एवं वरिष्ठ वकील बाबूलाल ने भी अपने विचार रखे। बी.के. बालमुकुन्द ने अपने शब्दों से सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन बी.के. लता ने किया। कार्यक्रम में अनेक न्यायाधीश, वकील एवं न्यायविद उपस्थित रहे।