दिल्ली, 19 मार्चः दक्षिण अमेरिका के प्रख्यात मेनेजमेन्ट कन्सलटेन्ट श्री केन ओडोनल ने कहा कि अपनी आन्तरिक प्रकृति को नियंत्रण में रखने से ही बाहरी प्रकृति को हम नियंत्रित कर सकते हैं। मनुष्य की जब सोच और नजरिया नकारात्मक या व्यर्थ की दिशा में चलता है उसके आन्तरिक शक्ति और क्षमता कम होने लगती है जो कि तनाव, दुख, अशान्ति और बीमारियों का कारण बन जाता है। जरूरत है कि हम अपनी सकारात्मक सोच, कर्म और व्यवहार में वृद्धि लायें जिससे हमें सम्पूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी।
उन्होंने कहा कि अपनी अन्तर आत्मा के ज्ञान, गुण एवं शक्तियों के चिन्तन तथा ज्ञान, गुण, शक्तियों के सागर परमात्मा के ध्यान से ही हम सकारात्मक, स्वस्थ एवं समृद्ध जीवन विकसित कर सकते हैं। यह बात उन्होंने केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के सहयोग से प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा आज स्थानीय सिरी फोर्ट सभागार में आयोजित दो दिवसीय ’’योग द्वारा विश्व शान्ति और वैश्विक कल्याण’’ अन्तर्राष्ट्रीय महासम्मेलन के दूसरे दिवस में मुख्य वक्ता के रूप में कही।
प्रसिद्ध प्रेरणादायी आध्यात्मिक वक्ता ब्रह्माकुमारी शिवानी ने योग द्वारा जीवन में होने वाले लाभ के उपर बताते हुए कहा कि जिस प्रकार मोबाईल पर एक क्लिक से हम सब कुछ कर सकते हैं उसी प्रकार हम अपनी एक सोच से स्वयं को, अपने शरीर को, रिश्तों को, कार्य क्षेत्र को, परिवार व सारे विश्व को परिवर्तन कर सकते हैं, पर इसके लिए जिस प्रकार मोबाईल का चार्ज होना जितना आवश्यक है उसी प्रकार प्रतिदिन आधा घण्टा राजयोग मेडिटेशन के द्वारा परमात्मा रूपी आध्यात्मिक पावर हाउस से सम्बन्ध जोड़कर अपनी अन्तर आत्मा को चार्ज करना आवश्यक है। जिससे हम अपने जीवन तथा समाज की अनेंकानेक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
ब्रह्माकुमारी संस्था के आस्ट्रेलिया तथा एशिया पैसेफिक देशों के मुख्य संचालक श्री चार्ली हॉग ने भारत के प्राचीन योग की सराहना करते हुए कहा कि वैश्विक शान्ति, स्वास्थ्य, सद्भावना एवं सामूहिक कल्याण का आधार योग वा राजयोग है जोकि भारत की समग्र विश्व एवं मानवता के लिए बहुत बड़ी देन है। उन्होंने आगे कहा कि भारत का यह आध्यात्मिक ज्ञान एवं योग समग्र विश्व को एकता के सूत्र में बांधने की क्षमता रखता है।
संस्था के युरोपियन देशों की मुख्य संचालिका बी0के0जयन्ती बहन ने योग का स्वास्थ्य तथा वातावरण पर प्रभाव के बारे में वैज्ञानिक तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि राजयोग मेडिटेशन के द्वारा न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है अपितु मनुष्य के मानसिक, अनुवांशिक और पर्यावरण स्तर पर सकारात्मक एवं स्वस्थ प्रभाव पड़ता है।